Tu pahla pahla pyar hai mera| पहला प्यार की एहसास | mera pahla pyar

 Tu pahla pahla pyar hai mera 

जब वह पढ़ने जाती थी और मैं वहीं कहीं कोनी पर बैठकर उसका इंतजार किया करता था वह तो शायद मुझे नहीं जानती थी फिर भी मैं उसे प्यार किया करता । 




मेरे मन में एक ही बात चलती रहती थी कि मैं कब जाकर उससे बोलूं और अपने दिल की बात उससे बताऊं पर शायद मैं यह नहीं कर सका मैं इतना डर रहा था कि क्या करूं डर किस बात की नहीं थी कि मैं भूल नहीं पाऊंगा डर तो इस बात की थी कि वह कहीं मुझे रिजेक्ट ना कर दे ऐसे ही करती कुछ दिन बीत गए आखिरकार मैंने मन बना लिया और जाकर उससे उसका हाल चाल पूछने लगा बातों ही बातों में बात बढ़ने लगी मैं उसकी आंखों में और वह मेरी आंखों में डूबने लगी कुछ खास नहीं था और वह लम्हा बहुत याद आने लगा ऐसे मानिए कि मैं उसके बिना सकता हूं मैं उसे प्रपोज कर दिया तब तक बात बहुत बढ़ गई थी और वह भी मेरे प्यार को एक्सेप्ट कर ले उसे डर था की सारे लोगों से छुप छुप कर मिलना और बातें करना अच्छी बात नहीं है फिर भी इतना था कि वह सारी बातों पर पर्दा डाल दिया और अपने रास्ते में अकेले ही चल दिया प्यार का जब वह बोली कि मैं तुम्हारे बिना रह नहीं सकती हूं और प्यार और गहरा होता है और हम दोनों साथ रहने लगे






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